" विमल "
सूर्य
रश्मि
पर
चढ़
कर
आयी
चंचल
शीतल
प्रेम
लालिमा
मेघों
के
झुरमुट
ने
रोकी
राह,
दिखा
घनघॊर
कालिमा
रोके
नहीं
रुकी
किरणे
जब
विलख
पड़ी
मेघों
की
छाया
आज
बड़े
दिन
बाद
कोई
मेघों
को
चीर
धरा
पर
आया
आया
लिए
सलोनी
प्यारी
मृगतृष्णा
से
भरी
सुराही
राह
निहारे
बैठ
अकेला
राजीव
बन
जीवन
रही
राजीव " सांकृत्यायन"
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