Sunday, October 13, 2013



'अनाम नाम '

किसी का कोई नाम नहीं
क्यों की सब
'वो' है

और 'उसका' नाम रखने वाला कोई नहीं ,
नाम नाटक के पात्रों का है
"राम", "श्याम" ,"बुद्ध","महावीर","जीसस "
और बहुत से
'अनाम',
हम अभिनय ही देख सकते हैं
और अभिनय ही समझ सकते हैं

और समझ सकते हैं , मात्र 'नाम'

'अनाम' हमारी पकड़ से दूर
क्यों की 'वो'
इतने निकट है /

.....................................................................................................राजीव " सांकृत्यायन"

Saturday, October 12, 2013

विमल



" विमल "

सूर्य रश्मि पर चढ़ कर आयी
चंचल शीतल प्रेम लालिमा
मेघों के झुरमुट ने रोकी
राह, दिखा घनघॊर कालिमा

रोके नहीं रुकी किरणे जब
विलख पड़ी मेघों की छाया
आज बड़े दिन बाद कोई
मेघों को चीर धरा पर आया

आया लिए सलोनी प्यारी
मृगतृष्णा से भरी सुराही
राह निहारे बैठ अकेला
राजीव बन जीवन रही

राजीव " सांकृत्यायन"